रुद्रप्रयाग में जिला चिकित्सालय परिसर बना निजी वाहनों का अड्डा

January 9, 2019 | samvaad365

रुद्रप्रयाग में जिला चिकित्सालय परिसर निजी वाहनों का अड्डा बनता जा रहा है। आए दिन नगर के दर्जनों वाहन यहाँ खड़े किए जा रहे हैं जिससे तिमारदारों के साथ ही आपातकालीन सेवाओं के जरिए मरीज को अस्पताल तक पहुँचाने में भी भारी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है।

वैसे तो जिला अस्पताल परिसर में 108 सेवा, खुशियों की सवारी और अन्य आपातकालीन सेवाओं के लिए पार्किंग बनाई गई हैं लेकिन इस पार्किंग में आपातकालीन वाहन तो खड़े नहीं रहते हैं लेकिन बड़ी तादात में स्थानीय लोगों के निजी चौपहिया और दुपहिया वाहन यहाँ भरे पड़े हैं। जबकि अस्पताल में कार्यरत अधिकारी-कर्मचारी और डाॅक्टरों के वाहन भी यहां महीनों तक खड़े रहते हैं। ऐसे में आपातकालीन सेवाओं द्वारा मरीज को अस्पताल तक पहुँचाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कई बार प्रसव पीड़िता को लेकर आई एम्बुलेंस को अस्पताल तक जाने की जगह न मिलने के कारण अस्पताल के बाहर ही एम्बुलेंस में प्रसव हो जाता है। पोस्टमार्टम हाउस के लिए जाना वाला रास्ता भी दुपहिया वाहनों से बाधित हो रखा है। स्थिति ऐसी है कि यहां शव ले जाने में भी कठिनायां होती हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि अस्पताल के कर्मियों व कुछ स्थानीय लोगों ने आपातकालीन वाहनों की पार्किंग पर कब्जा जमायें हुए हैं जिस कारण आम लोगों को इकसा खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

जिला चिकित्सा अधिकारी भी मानते हैं कि अस्पताल परिसर में एम्बुलेंस को खड़ी करने की जगह पर स्थानीय लोगों और अस्पताल कर्मचारियों द्वारा अपने निजी वाहन पार्क किए हुए हैं। बावजूद इन वाहनों को यहां से हटाने की बजाय अधिकारी यह कहकर अपने कर्तव्र्यों की इतिश्री कर रहे हैं कि जगह न होने के कारण डाॅक्टरों द्वारा अपने निजी वाहनों को अपस्ताल में पार्क किया हुआ है।

आपातकालीन सेवाओं को सबसे पहले रास्ता देना और उन्हें अस्पताल परिसर में खड़ा होने के लिए उचित स्थान दिया जाना हर अस्पताल का पहला दायित्व होता है ताकि वह जरूरत पड़ने पर मरीजों को अस्पताल तक पहुँचा सके। हालांकि जिला चिकित्सालय रूद्रप्रयाग में इसकी पूरी व्यवस्था है किन्तु अस्पताल परिसर डाॅक्टर कर्मचारियों और कुछ स्थानीय लोगों द्वारा इसे अपने निजी वाहनों की पार्किंग बनाया हुआ है।  सबकुछ जानते हुए भी यहां जिम्मेदार क्यों मौन बैंठे हैं यह समझ से परे है।

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रुद्रप्रयाग/कुलदीप राणा

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